संसदीय राजभाषा समिति
भाषा मनुष्यों
के भावों की अभिव्यक्ति का साधन होती है। भाषा के बिना संसार की कल्पना नहीं की जा
सकती क्योंकि भाषा संचार एवं संवाद का सबसे सशक्त माध्यम है। किसी भी देश की पहचान
उसके राष्ट्र-ध्वज, राष्ट्र-गान, राष्ट्रभाषा तथा राजभाषा से होती है। भारत में हिंदी
सर्वाधिक बोली एवं समझी जाने वाली भाषा है। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए संविधान
निर्माताओं ने संविधान के निर्माण के समय राजभाषा विषय पर विचार-विमर्श किया था और
यह निर्णय लिया कि देवनागरी लिपि में हिंदी को संघ की राजभाषा के रूप में अंगीकृत
किया जाए।
संसदीय राजभाषा समिति की पृष्ठभूमि
इसी आधार पर
संविधान के अनुच्छेद 343(1) में देवनागरी लिपि में हिंदी को संघ की राजभाषा घोषित
किया गया। भारत में हिंदी को राजभाषा के रूप में स्थापित करने में राजभाषा
अधिनियम, 1963 भी काफी निर्णायक रहा है। इसी अधिनियम की धारा 4 के अंतर्गत एक
संसदीय राजभाषा समिति का गठन करने की सिफारिश की गई थी।
प्रथम संसदीय
राजभाषा समिति का गठन 1976 में किया गया था। इस
समिति के अध्यक्ष गृह मंत्री होते हैं। इसमें कुल 30 सदस्य होते हैं जिनमें से 20
लोकसभा से तथा 10 राज्यसभा से चुने जाते हैं। इस समिति की तीन उप-समितियां भी होती
हैं तथा एक आलेख एवं साक्ष्य उप-समिति होती है। हर
बार लोकसभा चुनावों के बाद समिति का पुनर्गठन किया जाता है। तथा इस क्रम में अब तक
क्रमशः वर्ष 1977, 1980, 1984,
1989, 1991, 1996, 1998, 1999, 2004, 2009 तथा
2014 के लोकसभा चुनावों के पश्चात समिति का पुनर्गठन हो
चुका है। समिति के कार्यकलाप और गतिविधियां मुख्यतः राजभाषा अधिनियम, 1963 की
धारा 4 के प्रावधानों के अनुरूप हैं।
हाल ही में नई
संसदीय राजभाषा समिति का गठन 26 सितंबर, 2019 को किया गया है इसका ब्यौरा है
:-
अध्यक्ष- गृह मंत्री श्री
अमित शाह
उपाध्यक्ष- श्री भर्तृहरी
महताब
पहली उप-समिति के संयोजक- प्रो. राम
गोपाल यादव
दूसरी उप-समिति के संयोजक- प्रो. रीता
बहुगुणा जोशी
तीसरी उप-समिति के संयोजक- श्री चिराग
पासवान
आलेख एवं साक्ष्य उप-समिति के अध्यक्ष- श्री भर्तृहरी महताब
इसके अलावा और
अन्य माननीय संसद सदस्य भी इस समिति के सदस्य हैं। समिति के सदस्यों के बारे में
जानने के लिए इस लिंक
पर क्लिक करें।
संसदीय राजभाषा समिति का महत्व
संसदीय राजभाषा
समिति राजभाषा हिंदी के प्रचार-प्रसार तथा कार्यान्वयन
में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। भारत में इसी समिति की वजह से केन्द्र सरकार के सभी
कार्यालयों में हिंदी का कार्यान्वयन सुदृढ़
रूप से होता है क्योंकि यह राजभाषा हिंदी के क्षेत्र में शीर्ष समिति है और इस
समिति की रिपोर्ट माननीय राष्ट्रपति जी को प्रस्तुत की जाती है, जिसके आधार पर
राष्ट्रपति जी समय-समय पर हिंदी के संबंध में आदेश जारी करते हैं। यह समिति अभी तक
अनेक निरीक्षण कर चुकी है। इसी समिति के कारण देश के सभी कार्यालयों में प्रेस
विज्ञप्ति, संविदाएं, लाइसेंस, नोटिस, मुहर, विज्ञापन आदि तरह की सामग्री द्विभाषी
रूप में तैयार किया जाता है।
संसदीय
राजभाषा समिति द्वारा संसद के प्रत्येक सत्रावसान के दौरान राजभाषा अधिनियम के
प्रावधानों की परिधि में आने वाले मंत्रालयों, विभागों, अधीनस्थ
कार्यालयों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, बैंकों
आदि का निरीक्षण किया जाता है। प्रत्येक सत्रावसान में तीनों उप समितियों द्वारा
उपर्युक्त कार्यालयों आदि के निरीक्षण करने का लक्ष्य होता है।

संसदीय राजभाषा समिति के प्रमुख कार्य
- संविधान के
अनुच्छेदों, राजभाषा अधिनियम, राजभाषा संकल्पों, नियमों तथा विनियमों का सभी
सरकारी कार्यालयों में अनुपालन सुनिश्चित करना। - देश के सभी केन्द्रीय
सरकार के कार्यालयों का राजभाषा निरीक्षण करना। - भारत सरकार के
विदेशों में स्थित कार्यालयों का राजभाषायी निरीक्षण करना। - देश के सभी
सरकारी कार्यालयों में राजभाषा हिंदी के कार्यान्वयन को बढ़ावा देना। - देश के सभी सार्वजनिक
क्षेत्र के उपक्रमों के कार्यालयों का राजभाषायी निरीक्षण करना। - माननीय
राष्ट्रपति जी को राजभाषा के संबंध में सिफारिश करना। - देशभर में हिंदी
तथा अनुवाद से संबंधित रिक्त पदों को भरने की सिफारिश करना। - राजभाषा समिति द्वारा
किए गए पिछले निरीक्षण पर की गई कार्यवाही की समीक्षा करना।