हिंदी का मानकीकरण (स्टैण्डर्ड हिंदी/ उर्दू)
क्या कभी सोचा है, इनमें
से कौन सा सही है?

भारत की विभिन्न हिंदी
संस्थाओं ने इसमें अत्यंत प्रयास किए हैं और उन्होंने हिंदी के सर्वमान्य रूप का
विकास किया। सभी मानक शब्दों का पुनर्गठन किया गया और मानक शब्दों का विरोध या
बहिस्कार तो नहीं, अपितु मनाही ज़रूर रखी गई। यह सर्वमान्य रूप ही हिंदी में मानक
हिंदी कहलाते हैं, जैसे कि उपरोक्त चित्र में दिए गए शब्दों से आए मानक हिंदी शब्द
हैं :-
संभ्रम (confusion) | मानक हिंदी शब्द |
कैन्टीन या कैंटीन? |
कैंटीन |
गयी या गई? |
गई |
दुकान या दूकान? |
दुकान |
धीरे-धीरे या धीरे-2? |
धीरे-धीरे |
हिंदी या हिन्दी? | हिंदी |
मानक हिंदी क्या होती है?
हिंदी का वर्तनी शुद्ध
रूप और मानक शब्द भेद (part
of speech) से बना शब्द रूप ही
मानक हिंदी कहलाता है। भाषा के मानकीकरण का उद्देश्य भाषा में एकरूपता लाना होता
है और इसकी सबसे पहले शुरुआत इलाहाबाद विश्वविद्यालय से 1950 में की गई थी।
विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग ने एक समिति का गठन किया और डॉ धीरेन्द्र वर्मा की
अध्यक्षता में 4 प्रकार का प्रतिवेदन (रिपोर्ट) तैयार किया गया :-
1. ब्रजेश्वर वर्मा
द्वारा हिंदी व्याकरण
2. हरदेव बिहारी द्वारा वर्ण
विन्यास की समस्या
3. धीरेन्द्र वर्मा
द्वारा देवनागरी लिपि चिन्हों में एकरूपता
4. माता प्रसाद गुप्त
द्वारा हिंदी शब्द भण्डार का स्थरीकरण
इन सभी कार्यवाही से
पहले, एक रचनाकार बहुत पहले ही इस एकरूपता के बारे में सोच रहे थे, वे थे, छत्रधारी
सिंह। श्री छत्रधारी सिंह हिंदी वर्तनी पर पुस्तक लिखने वाले प्रथम रचनाकार
हैं और इनकी पुस्तक का नाम था लेखनियम।
मानक हिंदी का उदाहरण :-
बहरहाल हिंदी वर्तनी के
इतिहास पर कभी और बात करेंगे, आज मैं आपको कुछ विशेष शब्दों के बारे में बताता हूँ
जो सही हैं या ग़लत हैं :-
सर्वनाम में वर्तनी | |
संभ्रम (confusion) | मानक हिंदी शब्द |
मेरे को घर जाना है | मुझे घर जाना है |
तेरे को चाहिए? | तुम्हें चाहिए? |
मैं तेरे से मिलूँगा | मैं तुमसे मिलूँगा। |
निष्कर्ष – “मेरे या तेरे” के
कारकीय रूपों को हिंदी में अब मान्य नहीं माना जाता है।
विशेषण में वर्तनी | ||
संभ्रम (confusion) | मानक उर्दू शब्द | मानक हिंदी शब्द |
ताज़ी सब्जी | ताज़ा सब्ज़ी |
ताजा सब्जी (हिंदी में सब्ज़ी शब्द ग्रहण किया गया “सब्जी” के रूप में) |
ताज़े फल |
ताजा फल (उर्दू में फल शब्द ग्रहण किया गया फल के ही रूप में, अत: ताजा शब्द भी हिंदी का मानक रखा गया) परन्तु उर्दू-विदों ने ताज़ा के साथ फल का प्रयोग स्वत: किया, ताकि “ताज़ा” शब्द नियत रहे, अत: आप “ताज़ा फल” उर्दू लेखे में प्रयोग कर सकते हैं |
ताजा फल |
ताज़ी ख़बर |
ताज़ा ख़बर ध्यान रहे, उर्दू लेखों में आप मानक-उर्दू का प्रयोग करें |
ताजा खबर ध्यान रहे, हिंदी लेखों में आप मानक-हिंदी का प्रयोग करें |
निष्कर्ष – हिंदी वाले लेखक और उर्दू वाले लेखक अपने आधे-अधूरे
ज्ञान को लेकर एक-दूसरे पर ज्ञान बघार के अपनी मूर्खता का प्रदर्शन न करें (लेख के
अनुसार शब्दों का चयन करें)
क्रिया में वर्तनी | |
संभ्रम (confusion) | मानक हिंदी शब्द |
आप करिएगा | आप कीजिएगा |
आपने करा? | आपने किया? |
आप करिए | आप कीजिए |
निष्कर्ष – करना से बना करिएगा या
करा या करिए रूप अमान्य है। इनका प्रयोग न करें
अव्यय में वर्तनी | |
और, तथा, एवं, व, लेकिन, मगर, किंतु, परंतु, इसलिए, इस कारण, अत:, क्योंकि, ताकि, या, अथवा” चाहे या अन्य कोई भी अव्यय हो, वह वाक्य के अन्य शब्दों से पृथक ही लिखे जाने चाहिए |
प्रति, मात्र या यथा से बने अव्यय पृथक नहीं लिखे जाएंगे। उदाहरण के तौर पर “प्रति दिन” गलत है और “प्रतिदिन” सही शब्द है |
निष्कर्ष – प्रति, मात्र, यथा अव्यय
के अतिरिक्त सभी अव्यय अन्य शब्दों से पृथक लिखे जाएंगे
संख्या शब्दों में वर्तनी | |
संभ्रम (confusion) | मानक हिंदी शब्द |
4 आदमी और 5 घोड़े जंगल में रहते थे | चार आदमी और पाँच घोड़े जंगल में रहते थे |
निष्कर्ष – संख्या को शब्दों में
लिखना ही सही है, अन्यथा लेखक के अपूर्ण ज्ञान का कुछ नहीं किया जा सकता।
अंग्रेज़ी शब्दों में वर्तनी | |
संभ्रम (confusion) | मानक हिंदी शब्द |
कैन्टीन में मुकेश का टेन्डर है | कैंटीन में मुकेश का टेंडर है |
निष्कर्ष – अंग्रेज़ी शब्दों में “न”
का प्रयोग गलत है। इसमें अनुस्वार (बिंदी) का प्रयोग ही मान्य है
उम्मीद है, मेरे इस लेख
से आप हिंदी को अपने छोर पर न केवल शुद्ध करेंगे अपितु गलत बोलने या लिखने वाले को
तर्क सहित समझा/बता पाएंगे। आपको यह लेख कैसा लगा, कमेंट्स में ज़रूर बताइएगा। मैं
आपके लिए एक चुनौती भी रखता हूँ कि ऊपर बताए गए नियमों का पालन करते हुए, इस वाक्य
को सही रूप में कैसे लिखा जाएगा, यह मुझे कमेंट्स में बताइए :-
चुनौती-वाक्य:
“मैंने 4 बार फ़ोन करा कि
मेरे को प्रति दिन अंडे चाहिए और मेरे को ताज़ा नाश्ता ही करना है।“